अनुराग कश्यप और एकता कपूर का विवाद: सास-बहू सीरियल्स पर टकराव
विवाद की शुरुआत और टेड सारंडोस की टिप्पणी
9 जून 2025 को बॉलीवुड के दो दिग्गज, अनुराग कश्यप और एकता कपूर, एक सार्वजनिक विवाद में उलझ गए, जिसकी जड़ नेटफ्लिक्स के सीईओ टेड सारंडोस की एक टिप्पणी थी। सारंडोस ने हाल ही में निखिल कामथ के पॉडकास्ट “People by WTF” में नेटफ्लिक्स इंडिया की शुरुआती रणनीति पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि 2018 में नेटफ्लिक्स की पहली भारतीय ओरिजिनल सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ के बजाय शायद अधिक “पॉपुलिस्ट” कंटेंट से शुरुआत करना बेहतर होता। इस टिप्पणी ने अनुराग कश्यप, जो ‘सेक्रेड गेम्स’ के सह-निर्देशक हैं, को भड़का दिया। कश्यप ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर करते हुए सारंडोस को “मूर्ख” करार दिया और तंज कसते हुए कहा कि उन्हें “सास-बहू” सीरियल्स से शुरुआत करनी चाहिए थी। इस टिप्पणी को एकता कपूर, जिन्हें भारतीय टेलीविजन पर सास-बहू ड्रामों की जननी माना जाता है, ने व्यक्तिगत हमले के रूप में लिया। एकता ने जवाब में कश्यप को “क्लासिस्ट” और “मूर्ख” कहा, जिससे यह विवाद और गहरा हो गया।
एकता कपूर का गुस्सा और सास-बहू सीरियल्स का बचाव
एकता कपूर ने अनुराग कश्यप की टिप्पणी को न केवल अपमानजनक बल्कि “क्लासिस्ट” करार दिया। उन्होंने इंस्टाग्राम स्टोरी पर बिना नाम लिए कश्यप पर निशाना साधते हुए लिखा, “तुम कितने मूर्ख हो… ऐसा कहकर तुम खुद को ‘मैं ज्यादा स्मार्ट, ज्यादा कूल’ दिखाने की कोशिश कर रहे हो, लेकिन नहीं! थोड़ा gracious और self-aware होना चाहिए।” एकता ने अपने सास-बहू सीरियल्स जैसे ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ का बचाव करते हुए कहा कि इन शोज ने भारतीय दर्शकों, खासकर महिलाओं, को आवाज दी। उन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय की एक रिसर्च का हवाला दिया, जिसमें इन ड्रामों के सामाजिक प्रभाव को रेखांकित किया गया है। एकता ने यह भी तर्क दिया कि कश्यप का यह रवैया उन कलाकारों की कमी को दर्शाता है जो समावेशी होने का दावा करते हैं लेकिन वास्तव में elitist हैं। इस जवाब ने नेटफ्लिक्स और भारतीय कंटेंट की दिशा पर एक व्यापक बहस छेड़ दी।
अनुराग कश्यप का रुख और सेक्रेड गेम्स की विरासत
अनुराग कश्यप ने टेड सारंडोस की टिप्पणी को नेटफ्लिक्स की रचनात्मक दृष्टि पर सवाल उठाने के रूप में देखा। ‘सेक्रेड गेम्स’, जिसे कश्यप और विक्रमादित्य मोटवाने ने निर्देशित किया था, नेटफ्लिक्स इंडिया की पहली ओरिजिनल सीरीज थी, जिसने सैफ अली खान और नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे सितारों के साथ 2018 में खूब वाहवाही बटोरी। हालांकि, इसका दूसरा सीजन उतना सफल नहीं रहा और शो रद्द हो गया। कश्यप ने सारंडोस के बयान को निजी आलोचना के रूप में लिया और इंस्टाग्राम पर लिखा, “मैं हमेशा से जानता था कि टेक लोग कहानी कहने में मूर्ख होते हैं, लेकिन टेड सारंडोस तो मूर्खता की परिभाषा हैं।” उनकी “सास-बहू” वाली टिप्पणी को कई लोगों ने एकता कपूर और उनके प्रोडक्शन हाउस, बालाजी टेलीफिल्म्स, पर तंज के रूप में देखा, जिसने हाल ही में नेटफ्लिक्स के साथ एक नई साझेदारी की घोषणा की थी।
नेटफ्लिक्स और भारतीय कंटेंट की रणनीति
इस विवाद ने नेटफ्लिक्स इंडिया की कंटेंट रणनीति पर भी सवाल उठाए। टेड सारंडोस ने पॉडकास्ट में स्वीकार किया कि भारत का मीडिया लैंडस्केप जटिल है और नेटफ्लिक्स को भारतीय दर्शकों को समझने में समय लगा। उन्होंने कहा कि भारत में शुरुआत ‘सेक्रेड गेम्स’ जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के बजाय अधिक लोकप्रिय कंटेंट जैसे सास-बहू ड्रामों से हो सकती थी। इस बयान को कश्यप ने अपमानजनक माना, जबकि एकता कपूर ने इसे अपने शोज की लोकप्रियता के प्रमाण के रूप में देखा। नेटफ्लिक्स ने 7 जून 2025 को एकता कपूर के बालाजी टेलीफिल्म्स के साथ एक दीर्घकालिक साझेदारी की घोषणा की, जिसे कश्यप की टिप्पणी में तंज के रूप में देखा गया। यह साझेदारी नेटफ्लिक्स के लिए भारतीय बाजार में अधिक mainstream कंटेंट लाने की दिशा में एक कदम है, लेकिन इसने बॉलीवुड में रचनात्मकता बनाम व्यावसायिकता की बहस को फिर से हवा दी।
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
यह विवाद केवल दो फिल्ममेकर्स के बीच की तकरार तक सीमित नहीं है; यह भारतीय मनोरंजन उद्योग में गहरे सांस्कृतिक और सामाजिक विभाजन को दर्शाता है। सास-बहू सीरियल्स, जिन्हें एकता कपूर ने 2000 के दशक में लोकप्रिय बनाया, ने मध्यम वर्ग के भारतीय परिवारों, विशेषकर महिलाओं, के बीच अपार लोकप्रियता हासिल की। ये शो, हालांकि अक्सर अतिनाटकीय माने जाते हैं, ने पारिवारिक मूल्यों, महिला सशक्तिकरण, और सामाजिक मुद्दों को उजागर किया। दूसरी ओर, कश्यप जैसे फिल्ममेकर्स ने हमेशा वैकल्पिक और प्रयोगात्मक सिनेमा को बढ़ावा दिया है। इस टकराव ने elitism बनाम populism की बहस को फिर से सामने लाया, जहां एक पक्ष कला की शुद्धता की बात करता है, तो दूसरा पक्ष दर्शकों की व्यापक पहुंच को प्राथमिकता देता है। सोशल मीडिया पर इस विवाद ने दर्शकों को दो खेमों में बांट दिया, कुछ एकता के साथ तो कुछ कश्यप के समर्थन में। यह बहस भारतीय कंटेंट की दिशा और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की भूमिका पर नए सवाल उठाती है।
