आगरा में जननी सुरक्षा योजना घोटाला: अखिलेश यादव का योगी सरकार पर तंज, BJP पर भ्रष्टाचार का आरोप
लखनऊ, 22 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में जननी सुरक्षा योजना (JSY) में सामने आए चौंकाने वाले फर्जीवाड़े ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस घोटाले को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार पर तीखा हमला बोला है। अखिलेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर योगी सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर भ्रष्टाचार और धांधली का आरोप लगाते हुए तंज कसा। उन्होंने कहा कि बीजेपी राज में फर्जी आंकड़ों और योजनाओं के दम पर शासन-प्रशासन मिलकर सरकारी धन की लूट कर रहा है। इस घोटाले ने न केवल जननी सुरक्षा योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि योगी सरकार की प्रशासनिक क्षमता और पारदर्शिता को भी कटघरे में खड़ा किया है।
जननी सुरक्षा योजना में फर्जीवाड़े का खुलासा
जननी सुरक्षा योजना, जो राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) के तहत गरीब गर्भवती महिलाओं के बीच संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने और मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए शुरू की गई थी, आगरा में भ्रष्टाचार का शिकार हो गई है। अमर उजाला की एक खबर के अनुसार, इस योजना के तहत फर्जीवाड़े की हद तब पार हो गई, जब एक महिला के नाम पर छह महीने में 10 बार प्रसव दर्शाकर सरकारी राशि निकाल ली गई। ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि वर्ष 2021 से 2024 तक JSY और नसबंदी की प्रोत्साहन राशि में करीब 38.95 लाख रुपये का फर्जी भुगतान किया गया। सबसे अधिक गड़बड़ी फतेहाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में पकड़ी गई, जहां 19.65 लाख रुपये की अनियमितता सामने आई।
रिपोर्ट के अनुसार, 20 से अधिक महिलाओं के नाम पर एक साल में 3 से 5 बार, और कुछ मामलों में 10 बार तक प्रसव दर्शाया गया। उदाहरण के तौर पर:
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गीता देवी के नाम पर 4 फरवरी 2023 से 29 अगस्त 2023 तक 10 बार प्रसव दिखाए गए, और उनके खाते में 14,000 रुपये जमा किए गए।
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आरती के नाम पर 29 अगस्त 2022 से 22 नवंबर 2022 तक तीन प्रसव दर्शाए गए, जिसके लिए 4,200 रुपये उनके खाते में आए।
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कुल 29 महिलाओं के नाम पर 377 बार प्रसव और 78 बार नसबंदी की राशि निकाली गई, जो मानवीय रूप से असंभव है।
इसके अलावा, कुछ मामलों में एक महिला को 30 महीने में 25 बार मां बनने और 5 बार नसबंदी कराने का दावा किया गया, जो इस घोटाले की गंभीरता को दर्शाता है।
अखिलेश यादव का तंज
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस घोटाले को बीजेपी सरकार की नाकामी और भ्रष्टाचार का प्रतीक बताया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “भाजपा राज में धांधली और भ्रष्टाचार का ये कमाल है कि कहीं मतदाता सूची में 37 मतदाताओं का एक पिता दर्ज है और अब ‘जननी सुरक्षा योजना’ में इस फ़र्ज़ीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ है कि 20 से अधिक महिलाओं ने एक साल में 3 ही नहीं 5-5 बार बच्चों को जन्म दिया है, ये रिकॉर्ड दर्ज है, जिसका असली मक़सद ये है कि शासन-प्रशासन मिलजुल कर इस योजना का पैसा खा सके। ये है भाजपा की योजनाओं और फर्जी आंकड़ों का सच।”
अखिलेश ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह घोटाला उनकी सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस नीति की पोल खोलता है। सपा की ओर से भी एक बयान जारी कर योगी सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई।
योगी सरकार का जवाब और कार्रवाई
इस मामले में आगरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि फर्जीवाड़े में शामिल पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है, और पुलिस जांच कर रही है कि इसमें और कौन-कौन शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि गलत तरीके से निकाली गई धनराशि की वसूली की जाएगी। हालांकि, योगी सरकार की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई विस्तृत आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, जिसे लेकर विपक्ष सरकार पर दबाव बना रहा है।
जननी सुरक्षा योजना: उद्देश्य और महत्व
जननी सुरक्षा योजना (JSY) को 12 अप्रैल 2005 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लॉन्च किया था। इसका मुख्य उद्देश्य गरीब और वंचित गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए प्रोत्साहित करना और मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करना है। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 1,400 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 1,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। साथ ही, आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।
योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन आगरा में सामने आया यह घोटाला इसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए नियमित ऑडिट और डिजिटल निगरानी जरूरी है।
राजनीतिक घमासान
यह घोटाला उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी सपा के बीच एक नए राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है। अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को बीजेपी सरकार की नाकामी और भ्रष्टाचार के सबूत के रूप में पेश किया है। इससे पहले भी अखिलेश ने बीजेपी पर विभिन्न योजनाओं, जैसे मुद्रा योजना, में फर्जी आंकड़ों और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।
वहीं, बीजेपी नेताओं ने इस मामले पर अभी तक कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन माना जा रहा है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से लेगी, क्योंकि यह योजना केंद्र सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं में से एक है। कुछ बीजेपी समर्थकों का कहना है कि यह घोटाला स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की मिलीभगत का नतीजा है, और योगी सरकार दोषियों को सजा देगी।
सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव
इस घोटाले ने न केवल जननी सुरक्षा योजना की विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाई है, बल्कि आम जनता के बीच सरकारी योजनाओं पर भरोसे को भी कम किया है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसी योजनाएं गरीब और जरूरतमंद महिलाओं के लिए जीवन रेखा हैं, और इनमें भ्रष्टाचार अस्वीकार्य है।
प्रशासनिक स्तर पर, यह घोटाला स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और ऑडिट प्रक्रिया में खामियों को उजागर करता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि डिजिटल ट्रैकिंग, आधार-लिंक्ड भुगतान, और नियमित तीसरे पक्ष के ऑडिट से ऐसी धांधलियों को रोका जा सकता है।
