रूसी कंपनी ने बियर बोतलों पर छापी महात्मा गाँधी, मदर टेरेसा और मंडेला की फोटो
रूस की एक कंपनी शराब बनाने वाली कंपनी ने महात्मा गाँधी, नेल्सन मंडेला और मदर टेरेसा की फोटो बियर की बोतलों और कैन पर छापकर बेचना शुरू किया हैं। जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। रूसी कंपनी की इस हरकत को लेकर ये भी बताया गया है कि यह कोई नई AI जेनरेटेड नहीं है।वास्तव में बीयर की बोतल और कैन पर इन महान लोगों की तस्वीरें लगाई गई हैं, क्योकि कंपनी द्वारा इन उत्पादों की फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट की गयी हैं।
कंपनी ने बीयर की बोतल पर इन तीन महान हस्तियों की छवि का इस्तेमाल किया है, जिन्हें सम्मान और प्रेरणा के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, मदर टेरेसा ने अपनी निःस्वार्थ सेवा से लाखों लोगों की जिंदगी बदली, जबकि नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति के खिलाफ संघर्ष किया। इन महान नेताओं की छवियों का उपयोग बीयर जैसे शराब उत्पाद पर किया गया है, जो समाज के एक बड़े वर्ग को आपत्ति का कारण बन रहा है।
भारत में इस बात को लेकर चर्चा
भारत में इस पर तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिली है। भारतीय नागरिकों और संगठनों ने इस कदम को अपमानजनक और इन महान हस्तियों की छवि का दुरुपयोग बताया है। महात्मा गांधी और मदर टेरेसा की छवि विशेष रूप से धार्मिक और नैतिक दृष्टिकोण से बहुत सम्मानित है, और उन्हें शराब जैसे उत्पादों के साथ जोड़ने को लेकर लोग खासे नाराज हैं। इसके अलावा, नेल्सन मंडेला की छवि का भी बीयर के प्रचार में उपयोग करना उनके संघर्ष और उनके संघर्ष के उद्देश्यों के साथ एक तरह से भद्दा मजाक करने जैसा प्रतीत हो रहा है।
रूस में भी इस विवाद ने तूल पकड़ा है, जहां कुछ लोगों का कहना है कि इस तरह की विज्ञापन रणनीति ने महात्मा गांधी और अन्य महान नेताओं की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि यह सिर्फ एक विपणन रणनीति है और इसमें ज्यादा तूल देने की आवश्यकता नहीं है।
कंपनी ने अभी तक इस मामले पर आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस विवाद ने उसे वैश्विक स्तर पर आलोचना का शिकार बना दिया है। भारतीय सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कंपनी से स्पष्टीकरण की मांग की है। सरकार का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से भारतीयों की भावनाओं को ठेस पहुँचती है, और ऐसे कदमों से सांस्कृतिक संवेदनशीलता का उल्लंघन होता है।
साथ ही, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस मुद्दे को लेकर बड़ी बहस हो रही है, जहां कई लोग इस कदम को व्यापारिक रणनीति के रूप में देख रहे हैं तो कुछ इसे भारत और अन्य देशों के नागरिकों के लिए अपमानजनक मानते हैं। विशेष रूप से गांधीजी, मदर टेरेसा और मंडेला के समर्थकों का कहना है कि इन महान नेताओं की छवि का इस प्रकार से उपयोग करना पूरी तरह से अनुचित है।
इस विवाद के बढ़ने के साथ यह सवाल उठता है कि क्या किसी भी कंपनी को अपने उत्पादों के प्रचार में इस तरह की संवेदनशीलता का ध्यान रखना चाहिए, विशेष रूप से जब यह व्यक्तित्व राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हों। यह घटना एक बड़ी बहस का हिस्सा बन गई है, जो शायद आने वाले दिनों में और भी तूल पकड़ सकती है।
