• December 27, 2025

आपातकाल भारत के मजबूत लोकतंत्र में एक अविस्मरणीय काला अध्याय : सूर्य प्रकाश पाल

 आपातकाल भारत के मजबूत लोकतंत्र में एक अविस्मरणीय काला अध्याय : सूर्य प्रकाश पाल

मुरादाबाद, 25 जून भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मुरादाबाद महानगर व जिला इकाई के तत्वावधान में मंगलवार को कार्यालय पर आपातकाल की वर्षगांठ पर संगोष्ठी एवं लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता के रूप में उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण सहकारी संघ के पूर्व सभापति सूर्य प्रकाश पाल उपस्थित रहे।

सूर्य प्रकाश पाल ने कहा कि आपातकाल भारत के मजबूत लोकतंत्र में एक अविस्मरणीय काला अध्याय है। 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश पर आपातकाल लगाया, जो लोकतांत्रिक स्वतंत्रता पर गंभीर अंकुश था। उन्होंने आगे बताया कि 25 जून, 1975 के बाद अगले 21 महीनों में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश के लोकतंत्र और संविधान को बंदी बनाकर रखा, लोगों, मीडिया और विपक्षी नेताओं पर अनगिनत अत्याचार किए।

भाजपा पश्चिम क्षेत्र के क्षेत्रीय महामंत्री हरिओम शर्मा ने कहा कि आपातकाल की अवधि एकतरफा कांग्रेस के नेतृत्व वाली तानाशाही का पर्याय बन गई, जिसके दौरान नागरिक अधिकारों को खत्म कर दिया गया और असहमति जताने वालों को अन्यायपूर्ण तरीके से कैद कर लिया गया। उन्होंने आगे बताया कि 25 जून, 1975 को देर रात, इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो पर एक प्रसारण में आपातकाल लागू करने की घोषणा की, इसके तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सशर्त रोक लगा दी थी, जिसमें लोकसभा के लिए उनके चुनाव को अमान्य घोषित किया गया था। 21 महीने की अवधि को जबरन सामूहिक नसबंदी, प्रेस पर सेंसरशिप, संवैधानिक अधिकारों के निलंबन और सत्ता के केंद्रीकरण के लिए जाना जाता है।

भाजपा जिलाध्यक्ष आकाश पाल और महानगर अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय आपातकाल, भारतीय राजनीति के एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू को दर्शाता है। आपातकाल के दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने विभिन्न राजनैतिक विरोधियों, समाजसेवी और पत्रकारों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था, जिसे भारतीय राजनीति के काले अध्याय के रूप में जाना जाता है। राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान यह घटनाक्रम भारतीय राजनीति में एक अभिशाप बन गया, जो स्वतंत्र मीडिया, संविधानिक संस्थाओं और लोकतंत्र के प्रति विशेष चिंता का विषय बन गया था।

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