राम ज्योति से दीपक जलाकर मनाई थी दीपावली,परिवार संग अयोध्या में दी थी गिरफ्तारी : प्रमोद पाल
श्री राम मंदिर आंदोलन में पूरे परिवार के साथ गिरफ़्तारी देने वाले प्रमोद पाल बघेल का कहना है कि कारसेवकों ने आंदोलन की धार पैनी करने के लिए अयोध्या की राम ज्योति से दिवाली के दीपक जलाकर पुलिस के पहरे के बीच दीपावली का त्यौहार मनाया था। हमें खुशी है कि मेरे जैसे लाखों रामभक्तों की मेहनत रंग लाई और अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन कर तैयार हो रहा है। निश्चित ही हमें इसी दिन का इंतजार था।
नगला बरी निवासी अरविंद बघेल ने अयोध्या राम मंदिर आंदोलन की जानकारी देते हुए बताया कि राम मंदिर के लिए आंदोलन चल रहा था। कारसेवकों ने आंदोलन की धार पैनी करने के लिए अयोध्या की राम ज्योति से 18 अक्टूबर 1990 की दिवाली के दीपक जलाने का फैसला लिया था। अयोध्या से आई राम ज्योति बजरंग दल के नेता प्रेमवीर सविता को सौंपी गई थी। पुलिस से बचकर उन्होंने राम ज्योति को घर-घर पहुंचाया था। उसी ज्योति से दीपावली के दीपक जलाए गए थे। पुलिस के पहरे के बीच दिवाली का त्योहार मना था। कारसेवक डरे नहीं। 24 अक्टूबर 1990 को पूर्व विधायक स्व. रामकिशन ददाजू के नेतृत्व में सैकड़ों कारसेवकों ने गिरफ्तारी दी थी।
विहिप ने 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या जाकर कारसेवा करने की घोषणा के साथ तैयारी शुरू कर दी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने साफ कह दिया था कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा। उन्होंने कारसेवकों की गिरफ्तारी का आदेश दे दिया था, लेकिन इसके बावजूद सैकड़ों की संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंचे और विवादित ढांचा पर चढ़कर भगवा झंडा फहराया था। फिरोजाबाद से कारसेवक आश्चर्य लाल नरुला, देवेंद्र स्वरूप शर्मा, पंडित रामस्वरूप शर्मा के नेतृत्व में वह स्वयं अपनी मां सुशीला देवी बघेल (85), पिता स्वर्गीय हीरालाल बघेल, भाई हरेंद्रपाल सिंह बघेल, भाई प्रमोदपाल बघेल के साथ अयोध्या गए थे और गिरफ्तारी दी थी।
भाजपा के तत्कालीन जिलाध्यक्ष स्वर्गीय जगदीश बंसल, विजेंद्र गुप्ता, पूर्व विधायक स्वर्गीय राम किशन ददाजू ने भूमिगत रहकर आंदोलन को तेज किया। फिरोजाबाद में उस समय के कारसेवा समिति के अध्यक्ष रामौतार शर्मा, महासचिव रवींद्र मोहन यादव के अलावा भाजपा नेता नानकचंद्र अग्रवाल, मंगल सिंह राठौर, भाजपा जिला कोषाध्यक्ष रामदास कुशवाह, प्रताप सिंह दद्दा, प्रमोद पाल बघेल व नवीन प्रकाश उपाध्याय की गिरफ्तार कर आगरा जेल भेजा था। रामचंद्र परमहंस के साथ 2 जनवरी को सरयू में स्नान के बाद गिरफ्तारी दी थी। इसके बाद रिहा हुए थे। लगातार आंदोलन चलता रहा।
उनका कहना है कि यह मेरा सौभाग्य है कि पांच सौ वर्ष के आंदोलन के बाद 22 जनवरी 2024 को वह क्षण हम सभी देखेंगे जब रामलला मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होगी।




