दिनकर भवन में दिनकर रचित महाकाव्य ”रश्मिरथी” का नाट्य मंचन

कला संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार के सौजन्य से जिला प्रशासन द्वारा आयोजित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 115वीं जयंती के अवसर पर आज दिनकर कला भवन बेगूसराय में सुरभि रूरल डेवलपमेंट एंड वेलफेयर सोसायटी द्वारा रामधारी सिंह दिनकर रचित खंडकाव्य ”रश्मिरथी” का नाट्य मंचन किया गया।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक हरीश हरिऔध के निर्देशन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। दिनकर जयंती पर दिनकर कला भवन में दिनकर रचित इस अनमोल काव्य कृति का अद्भुत मंचन उपस्थित दर्शकों को अभिभूत कर गया। मंच पर सभी अभिनेता को दिनकर के स्वरूप में प्रस्तुत कर निर्देशक ने अपने निर्देशन कौशल से और मंच पर अभिनेताओं ने अपने उत्कृष्ट अभिनय से इस रचना को जीवंत कर दिया।
दर्शक दीर्घा में उपस्थित रंग दर्शक उन्हें रोमांचित हो देखते और कर्ण प्रिय सुमधुर संगीत को मंत्रमुग्ध हो सुनते और आनंदित होते रहे। अभिनेताओं के हर संवाद पर लगातार तालियां बजती रही। प्रकाश परिकल्पना राहुल रवि, मेकअप शशि कुमार एवं पंकज कुमार ने किया। वस्त्र विन्यास अजय कुमार भारती, सेट डिजाइन दीपक कुमार एवं प्रस्तुति संयोजन इम्तियाजुल हक डब्लू का था। मंच संचालन दीपक कुमार ने किया।
मंच पर अभिनेता के तौर पर हरीश हरिऔध, दीपक कुमार, दिवाकर कुमार, सौरभ कुमार, मनोज कुमार, सुशील कुमार एवं अंकित राज, कविता कुमारी राष्ट्रकवि दिनकर के इस महाकाव्य ”रश्मिरथी” का अद्भुत नाटक मंचन किया। संगीत पक्ष में गणेश गौरव, विष्णुदेव दास, अशोक पासवान, निर्भय भारद्वाज, चंदन कुमार सोनू, लाल बाबू एवं शिव कुमार ने शानदार काम कर दर्शकों को बांधे रखा।
इसमें कर्ण के चरित्र के सभी पक्षों का सजीव चित्रण किया गया था। रश्मिरथी में दिनकर ने कर्ण की महाभारतीय कथानक से ऊपर उठाकर उसे नैतिकता और विश्वसनीयता की नयी भूमि पर खड़ा कर उसे गौरव से विभूषित कर दिया है। रश्मिरथी में दिनकर ने सभी सामाजिक और पारिवारिक संबंधों को नए सिरे से जांचा। चाहे गुरु-शिष्य सम्बन्धों के बहाने हो, चाहे अविवाहित मातृत्व और विवाहित मातृत्व के बहाने हो, चाहे धर्म के बहाने हो या छल-प्रपंच के बहाने।
