• November 19, 2025

ई-वेस्ट का ज़हरीला संकट: 43% रीसाइक्लिंग के बावजूद क्यों बढ़ रहा कचरा?

लखनऊ, 16 नवंबर 2025:  टेक्नोलॉजी की चकाचौंध के पीछे छिपा एक खतरनाक संकट तेजी से फैल रहा है। हर साल करोड़ों पुराने गैजेट कचरे में बदलकर ज़मीन और हवा को ज़हरीला बना रहे हैं। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक बन चुका है, लेकिन रीसाइक्लिंग सिर्फ 43% ही हो पा रही है। आखिर बाकी का ज़हरीला कचरा कहाँ जा रहा है? क्या हमारी तरक्की पर्यावरण को निगल रही है?

ई-वेस्ट की बढ़ती रफ्तार: भारत तीसरे नंबर पर

दुनिया टेक्नोलॉजी की रेस में दौड़ रही है, लेकिन पुराने उपकरण कचरे का पहाड़ बना रहे हैं। भारत में 2023–24 में 1.751 मिलियन मीट्रिक टन ई-वेस्ट उत्पन्न हुआ, जो 2019–20 से 73% अधिक है। मुंबई, दिल्ली, बैंगलोर, चेन्नई और कोलकाता अकेले 60% कचरा पैदा करते हैं। सिर्फ 43% औपचारिक रीसाइक्लिंग हो पाती है, बाकी अनौपचारिक सेक्टर में पहुँचकर मिट्टी, पानी और हवा को दूषित करता है। विषैले पदार्थ जैसे लेड, मरकरी और कैडमियम स्वास्थ्य के लिए घातक हैं। मुंबई के बॉम्बे एग्ज़िबिशन सेंटर में PRS इंडिया और BRS 2025 सम्मेलन में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि अनियंत्रित ई-वेस्ट जलवायु परिवर्तन को और गंभीर बना सकता है। मैटेरियल रीसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, तकनीक और क्षमता मौजूद है, लेकिन कच्चे माल की कमी बाधा बन रही है।

अनौपचारिक सेक्टर का खतरनाक खेल

औपचारिक रीसाइक्लिंग सिर्फ 5% ई-वेस्ट संभाल पाती है, जबकि 95% अनौपचारिक सेक्टर के हवाले हो जाता है। यहाँ बिना सुरक्षा के श्रमिक ज़हरीले रसायनों से सोना-चांदी निकालते हैं, जिससे कैंसर और न्यूरोलॉजिकल बीमारियाँ फैलती हैं। देश में 2500 करोड़ रुपये निवेश हुए, लेकिन 50 हजार करोड़ की जरूरत है। जस्ते की रीसाइक्लिंग मात्र 10% है। महाराष्ट्र ने एकल-उपयोग प्लास्टिक पर बैन लगाकर और स्टार्टअप हब बनाकर मिसाल कायम की है। अन्य राज्य इसे अपनाएँ तो बदलाव संभव है। विशेषज्ञ कहते हैं, निर्माताओं पर जिम्मेदारी डालकर और जागरूकता बढ़ाकर अनौपचारिक सेक्टर को रोका जा सकता है। ई-वेस्ट से लिथियम, कोबाल्ट जैसी दुर्लभ धातुएँ निकल सकती हैं, जो अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगी।

दुनिया के सफल मॉडल और भारत का भविष्य

यूरोपीय संघ में 42.5% ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग WEEE डायरेक्टिव से संभव है, जो निर्माताओं को जिम्मेदार बनाता है। जापान में 75% रीसाइक्लिंग कानून ने सुनिश्चित की। अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया मॉडल और चीन का विदेशी कचरा बैन प्रभावी है। भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना चाहता है, तो रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री को मजबूत करना होगा। प्लास्टिक और बैटरी रीसाइक्लिंग में डेटा और संरचना की कमी है। अगर EPR पॉलिसी सख्ती से लागू हो और जनता जागरूक बने, तो ई-वेस्ट संकट अवसर में बदलेगा। पर्यावरण बचाने के साथ नौकरियाँ और संसाधन भी मिलेंगे। अब समय है नीति, तकनीक और सहयोग का।
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Rama Niwash Pandey

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