1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा संसद का शीतकालीन सत्र, होंगी 15 बैठकें; चुनाव आयोग से लेकर महंगाई तक पर मच सकता है हंगामा
नई दिल्ली, 9 नवंबर: संसद का शीतकालीन सत्र (Winter Session 2025) इस बार 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा। पूरे 19 दिनों के दौरान लोकसभा और राज्यसभा की कुल 15 बैठकें होंगी। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरें रिजिजू ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर इसकी जानकारी दी। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि इस सत्र में कई गंभीर मुद्दों पर बहस और तीखा हंगामा देखने को मिल सकता है।
पिछले सत्र का अनुभव: चर्चा से ज्यादा हंगामा
पिछला मानसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चला था। उस दौरान राज्यसभा के तत्कालीन उपसभापति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे और SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) जैसे मुद्दों पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था।
मानसून सत्र में कुल 21 बैठकें हुईं — लोकसभा में 120 घंटे चर्चा के लिए तय थे, लेकिन सिर्फ 37 घंटे ही काम हो पाया। राज्यसभा में 41 घंटे की कार्यवाही हुई और कुल 27 बिल पास किए गए।
सबसे ज्यादा चर्चा उस संविधान संशोधन बिल पर रही, जिसमें गिरफ्तारी की स्थिति में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को पद से हटाने का प्रावधान था। यह बिल अंततः जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) के पास भेजा गया।
CEC पर विपक्ष की नजर: महाभियोग की तैयारी
इस बार का शीतकालीन सत्र खास तौर पर मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार को लेकर गर्म रह सकता है।
कांग्रेस, TMC, सपा, DMK, राजद सहित आठ विपक्षी दलों ने पिछले सत्र के दौरान ही CEC के खिलाफ महाभियोग लाने की रणनीति बनाई थी।
दरअसल, राहुल गांधी ने 7 अगस्त को चुनाव आयोग पर “वोट चोरी” के आरोप लगाए थे, जिसके जवाब में CEC ज्ञानेश कुमार ने 17 अगस्त को कहा था कि या तो राहुल गांधी अपने आरोपों का सबूत दें या देश से माफी मांगें।
इसके बाद विपक्षी दलों ने 18 अगस्त को हुई I.N.D.I.A. ब्लॉक की बैठक में निर्णय लिया कि महाभियोग नोटिस शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।
इन मुद्दों पर गरमाएगा सत्र
विश्लेषकों का मानना है कि इस बार का सत्र राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील रहेगा। बिहार विधानसभा चुनावों के नतीजे और हालिया राजनीतिक माहौल के चलते विपक्ष सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगा।
संभावित प्रमुख मुद्दे:
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चुनाव आयोग और वोट चोरी विवाद: राहुल गांधी और अखिलेश यादव जैसे नेता इस पर सरकार को घेर सकते हैं।
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महंगाई और बेरोजगारी: विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है कि सरकार इस संकट से निपटने के लिए क्या कदम उठा रही है।
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विदेश नीति और सुरक्षा: चीन, पाकिस्तान और पड़ोसी देशों के साथ भारत के रिश्तों पर चर्चा संभव है।
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कृषि और सामाजिक नीतियां: किसानों, युवाओं और महिलाओं से जुड़े प्रस्तावों पर भी बहस हो सकती है।
सत्र की कार्ययोजना और संभावित एजेंडा
किरें रिजिजू ने बताया कि संसद में इस बार कुल 15 बैठकें होंगी। केंद्र सरकार कई अहम बिल पेश करने की तैयारी में है — जिनमें सामाजिक सुधार, आर्थिक नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कानून शामिल हो सकते हैं।
वहीं, विपक्ष की ओर से संवैधानिक मुद्दों और महाभियोग नोटिस पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, शीतकालीन सत्र 2025 चुनावी साल के लिहाज से अहम मंच साबित हो सकता है, जहाँ एक तरफ सरकार अपनी नीतियों का बचाव करेगी, तो दूसरी ओर विपक्ष लोकसभा चुनाव से पहले जनता के बीच अपने मुद्दे उठाने की कोशिश करेगा।