राज्यसभा वाले दिग्गज मंत्री भी उतरेंगे चुनाव में, ड्राई जोन में भी कमल खिलाने की तैयारी में भाजपा
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने कमर कसनी शुरू कर दी है तो वहीं उन मंत्रियों को भी चुनाव में उतारने की तैयारी है, जो अब तक राज्यसभा का हिस्सा रहे हैं। इन में जयशंकर और निर्मला भी शामिल हैं।
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने कमर कसनी शुरू कर दी है तो वहीं उन मंत्रियों को भी चुनाव में उतारने की तैयारी है, जो अब तक राज्यसभा का हिस्सा रहे हैं। इन मंत्रियों में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जैसे चेहरे शामिल हैं। दोनों ही राज्यसभा से आते हैं और अब तक चुनावी राजनीति का अनुभव नहीं रहा है, लेकिन तमिलनाडु में संभावनाएं टटोलने के लिए भाजपा इन्हें चुनाव में उतारना चाहती है। निर्मला और जयशंकर दोनों का ही तमिलनाडु से कनेक्शन रहा है। यहां भाजपा अब तक अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं करा सकी है। ऐसे में बड़े चेहरे उतारकर मुकाबले की कोशिश करेगी।
निर्मला सीतारमण का जन्म तमिलनाडु में हुआ था और जयशंकर यहीं के हैं, लेकिन दिल्ली में रहते हैं। भाजपा दोनों नेताओं को तमिलनाडु में उतारने को लेकर कितना गंभीर है, इसे इससे भी समझा सकता है कि जब पीएम नरेंद्र मोदी को तमिलनाडु से आए अधीनम संतों ने सेंगोल प्रदान किया था तो वह मौके पर थीं। इसकी वजह यही थी कि भाजपा उनका तमिलनाडु कनेक्शन सामने रखना चाहती है। इन दोनों नेताओं के अलावा धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव और मनसुख मांडविया को भी उतारा जा सकता है। ये तीनों ही मंत्री अब तक राज्यसभा के ही मेंबर रहे हैं। इनके अलावा रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कैबिनेट में हैं, लेकिन राज्यसभा के मेंबर हैं।
भाजपा सूत्रों के हवाले से खबर है कि इन लोगों को भी उतारा जा सकता है। सिंधिया तो ग्वालियर सीट से ही लोकसभा के सांसद बनते रहे हैं, लेकिन 2019 में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर वह भाजपा के केपी यादव से हार गए थे। अब फिर से वह लोकसभा चुनाव में उतर सकते हैं। बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यह दांव आजमाया था। तब उसने राज्यसभा के सदस्य रहे रविशंकर प्रसाद, स्मृति इरानी और हरदीप सिंह पुरी को चुनाव में उतारा था। स्मृति इरानी ने तो अमेठी से जीत हासिल कर भाजपा को बड़ी सफलता दिलाई और राहुल गांधी को अपना ही गढ़ छोड़ना पड़ गया।
धर्मेंद्र प्रधान ओडिशा में बनाएंगे भाजपा का माहौल?
भाजपा के मैनेजरों में शामिल धर्मेंद्र प्रधान ने भी इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। भाजपा पिछली बार से ही ओडिशा में पैठ बनाने की तैयारी कर रही है, लेकिन इस बार धर्मेंद्र प्रधान जैसे चेहरे को उतारने की तैयारी है। दरअसल भाजपा को लगता है कि ओडिशा, तमिलनाडु जैसे राज्य जो उसके लिए लोकसभा में ड्राईजोन सरीखे रहे हैं, उनमें बड़े चेहरों को उतारने से कुछ सफलता मिल सकती है। धर्मेंद्र प्रधान तो 2009 में ओडिशा की देवघर सीट से जीत भी हासिल कर चुके हैं। ऐसे में उनका पुरानी चुनावी अनुभव भी है।
भूपेंद्र यादव को लेकर भी बन रहा प्लान
दरअसल धर्मंद्र चौसा बिरादरी से हैं, जो ओबीसी वर्ग का हिस्सा है। इसके अलावा भूपेंद्र यादव भी इसी समुदाय से आते हैं। ऐसे में भाजपा दोनों नेताओं को ओबीसी फेस के तौर पर भी प्रोजेक्ट करना चाहती है। इसी मकसद से भूपेंद्र यादव को हरियाणा या राजस्थान की किसी सीट से उतारा जा सकता है। हरियाणा में जन्मे भूपेंद्र यादव राजस्थान में भी ऐक्टिव रहे हैं। ऐसे में उन्हें उतारकर भाजपा हरियाणा की अहीरवाल बेल्ट में सफलता की उम्मीद देख रही है। इसके अलावा राजस्थान में भी इसका लाभ मिलेगा।