• December 2, 2025

बूढ़े खुश, युवा दुखी: डिप्रेशन और तनाव का ‘U-शेप पैटर्न’ टूटा, रिसर्च में सामने आया मानसिक स्वास्थ्य संकट का नया रूप।

एक चौंकाने वाले वैश्विक अध्ययन ने मानसिक स्वास्थ्य के पारंपरिक पैटर्न को पूरी तरह से उलट दिया है। जहाँ पहले मध्यम आयु वर्ग के लोगों में निराशा और अवसाद आम था, वहीं अब यह संकट सबसे ज्यादा युवाओं में (Young Adults) देखा जा रहा है। पीएलओएस वन (PLOS One) में प्रकाशित एक हालिया रिसर्च (2025) में 44 देशों के 17 लाख से अधिक लोगों के डेटा का विश्लेषण किया गया, जिससे पता चला कि मानसिक अस्वस्थता (Mental Unhealthiness) अब उम्र बढ़ने के साथ कम हो रही है, लेकिन युवाओं में (Youth) यह अपने चरम पर है। यह बदलाव युवाओं के बीच नाखुशी, चिंता (Anxiety) और अवसाद (Depression) को तेजी से बढ़ा रहा है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इसका समाज पर गहरा और दीर्घकालिक असर पड़ेगा। तो चलिए जानते हैं पूरी खबर क्या है, जानते हैं विस्तार से…

युवाओं में नाखुशी के बढ़ते रुझान की पृष्ठभूमि

मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में पुरानी स्टडीज में खुशी का U-शेप पैटर्न देखा जाता था। इस पैटर्न के अनुसार, लोग युवावस्था में खुश होते थे, मध्यम आयु में खुशी कम होती थी, और बुढ़ापे में यह फिर से बढ़ जाती थी। हालाँकि, पीएलओएस वन (PLOS One) की 2025 स्टडी ने इस सदियों पुराने पैटर्न को ध्वस्त कर दिया है। 44 देशों के 2020 से 2025 तक के डेटा की पृष्ठभूमि में यह पाया गया कि अब युवाओं में (Youth) मानसिक स्वास्थ्य सबसे खराब है। इस डेटा से एक गंभीर खुलासा हुआ: युवा महिलाओं (Young Women) में 53% ने नकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य स्कोर दिखाया, जबकि युवा पुरुषों में 41%। अमेरिका (USA) और ब्रिटेन (UK) जैसे विकसित देशों में तो युवाओं में अवसाद (Depression) और चिंता (Anxiety) के मामलों में महामारी के बाद तेज वृद्धि दर्ज की गई है।

डिप्रेशन और तनाव के लिए जिम्मेदार परेशान करने वाले कारक

युवाओं में डिप्रेशन (Depression) और तनाव (Stress) बढ़ने के पीछे कई परेशान करने वाले कारकों का मुख्य खुलासा हुआ है। सबसे प्रमुख कारक है स्क्रीन टाइम (Screen Time) और बढ़ता अकेलापन। युवा सोशल मीडिया (Social Media) पर अत्यधिक समय बिताते हैं, जिसके कारण सामाजिक तुलना और अलगाव बढ़ता है, जो चिंता (Anxiety) को जन्म देता है। दूसरा महत्वपूर्ण कारक वित्तीय दबाव (Financial Pressure) है—जिसमें महंगाई, नौकरी की असुरक्षा (Job Insecurity), और वैश्विक मंदी का भय शामिल है। इसके अलावा, बचपन के ट्रॉमा (Trauma), जैसे बुलिंग (Bullying) या गंभीर पारिवारिक समस्याएँ, भी युवाओं को सबसे अधिक प्रभावित कर रही हैं। कोविड-19 महामारी (COVID-19 Pandemic) के बाद शिक्षा, रोजगार और मानसिक स्वास्थ्य में आई गिरावट ने इस संकट को और गहरा कर दिया है, जिससे युवाओं में आत्महत्या के विचार (Suicidal Thoughts) और भय बढ़ा है।

मानसिक स्वास्थ्य संकट के सामाजिक

युवाओं में खराब मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के गंभीर सामाजिक और आर्थिक प्रभाव सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि मानसिक तनाव (Mental Stress) से जूझ रहे युवाओं में शारीरिक बीमारियों से उबरने की गति धीमी होती है, जिससे अस्पतालों पर बोझ (Hospital Burden) बढ़ रहा है। दूसरा गंभीर प्रभाव यह है कि किशोरावस्था (Adolescents) में आत्महत्या (Suicide) के मामले बढ़ रहे हैं, जो एक बड़ी मानवीय त्रासदी है। आर्थिक मोर्चे पर, युवाओं में अवसाद (Depression) के कारण उत्पादकता (Productivity) में कमी, बेरोजगारी (Unemployment) और लेबर फोर्स में गिरावट हो रही है। स्टडी चेतावनी देती है कि यदि युवाओं के इस डिप्रेशन को नजरअंदाज किया गया, तो यह आर्थिक विकास (Economic Growth) के लिए एक बड़ा खतरा बन जाएगा और समाज पर लंबे समय तक नकारात्मक असर डालेगा।

सरकारों के लिए चेतावनी

इस गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए सरकारों और समाज को तुरंत आगे की कार्रवाई करनी होगी। पीएलओएस वन (PLOS One) स्टडी के निष्कर्षों के आधार पर, यह अनिवार्य है कि स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों (Workplace) में व्यापक मानसिक स्वास्थ्य नीतियाँ (Mental Health Policies) अपनाई जाएँ। सबसे पहले युवाओं के लिए वित्तीय तनाव (Financial Stress) को कम करने और नौकरी की सुरक्षा (Job Security) सुनिश्चित करने पर ध्यान देना होगा। इसके अतिरिक्त, युवाओं को सोशल मीडिया से दूर कर वास्तविक सामाजिक जुड़ाव के अवसर प्रदान करने और बचपन के ट्रॉमा से निपटने के लिए विशेषज्ञ सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि समय रहते ये कदम उठाना आवश्यक है, वरना यह संकट समाज पर गहरा असर डालेगा। किसी भी मानसिक स्वास्थ्य समस्या के लिए विशेषज्ञ (Expert) से तुरंत सलाह लेना सबसे जरूरी है।

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