प्रधानमंत्री मोदी से विदेशी प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात: कोविड टेस्ट अनिवार्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम को नई दिल्ली में एक विदेशी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने वाले हैं। यह प्रतिनिधिमंडल हाल ही में 33 विदेशी राजधानियों और यूरोपीय संघ की यात्रा से लौटा है, जहां उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की स्थिति को स्पष्ट किया। इस मुलाकात से पहले सभी प्रतिनिधियों को कोविड टेस्ट कराना अनिवार्य किया गया है, जो वर्तमान स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का हिस्सा है। यह कदम भारत सरकार की महामारी के प्रति सतर्कता को दर्शाता है। यह मीटिंग भारत की वैश्विक कूटनीति और आतंकवाद के खिलाफ मजबूत रुख को रेखांकित करती है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहले ही इस प्रतिनिधिमंडल की सराहना की है, और अब पीएम मोदी की यह मुलाकात वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य और यात्रा
यह प्रतिनिधिमंडल, जिसमें पूर्व सांसद और राजनयिक शामिल थे, ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की नीतियों और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ रुख को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया। इस अभियान के तहत सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों ने 33 देशों का दौरा किया, जिसमें चार सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों और तीन विपक्षी दलों के नेताओं ने नेतृत्व किया। इनमें बीजेपी, जदयू, शिवसेना, कांग्रेस, डीएमके और एनसीपी (एसपी) के नेता शामिल थे। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्थिति को स्पष्ट किया और वैश्विक समुदाय से समर्थन मांगा। विदेश मंत्री जयशंकर ने इन प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह भारत की कूटनीतिक ताकत को दर्शाता है। इस मुलाकात में पीएम मोदी इन प्रयासों की समीक्षा करेंगे।
कोविड टेस्ट की अनिवार्यता
महामारी के बाद से भारत सरकार ने स्वास्थ्य प्रोटोकॉल को लेकर सख्त रवैया अपनाया है। इस मुलाकात से पहले सभी प्रतिनिधियों को कोविड टेस्ट कराने का निर्देश दिया गया है। यह कदम न केवल प्रतिनिधियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि प्रधानमंत्री और अन्य अधिकारियों के स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देता है। कोविड टेस्ट की प्रक्रिया को तेज और सुव्यवस्थित करने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है, जिसमें मोबाइल टेस्टिंग यूनिट और त्वरित परिणाम की सुविधा शामिल है। यह प्रोटोकॉल भारत की स्वास्थ्य नीतियों और वैश्विक मानकों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। साथ ही, यह सुनिश्चित करता है कि कूटनीतिक गतिविधियां सुरक्षित और निर्बाध रूप से जारी रहें। यह कदम अन्य देशों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
ऑपरेशन सिंदूर का महत्व
ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद विरोधी नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस अभियान के तहत भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। पीएम मोदी ने अपने एक भाषण में कहा था कि आतंकवाद का जवाब देने के लिए भारत ने नई लाल रेखाएं खींची हैं। इस प्रतिनिधिमंडल ने वैश्विक मंच पर भारत की इस नीति को स्पष्ट किया, विशेष रूप से पाहलगाम आतंकी हमले के बाद, जिसमें दो विदेशी नागरिकों सहित कई लोग प्रभावित हुए थे। इस अभियान ने वैश्विक समुदाय को यह संदेश दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता की नीति पर अडिग है। पीएम मोदी की इस मुलाकात में ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और भविष्य की रणनीति पर चर्चा होगी।
प्रतिनिधिमंडल की संरचना
प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख हस्तियों में पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद और सलमान खुर्शीद जैसे दिग्गज नेता थे। इसके अलावा, सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्षी दलों के सांसदों ने संयुक्त रूप से इस अभियान का नेतृत्व किया। चार प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों ने किया, जिसमें बीजेपी के दो, जदयू और शिवसेना के एक-एक नेता शामिल थे। वहीं, तीन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व कांग्रेस, डीएमके और एनसीपी (एसपी) के नेताओं ने किया। इस बहुदलीय भागीदारी ने भारत की एकजुटता और आतंकवाद के खिलाफ साझा प्रतिबद्धता को दर्शाया। इस मुलाकात में पीएम मोदी इन नेताओं के अनुभवों और सुझावों को सुनेंगे, ताकि भविष्य में ऐसी कूटनीतिक पहल को और मजबूत किया जा सके।
वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति
इस प्रतिनिधिमंडल की यात्रा ने वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत किया है। 33 देशों और यूरोपीय संघ के साथ विचार-विमर्श ने भारत की कूटनीतिक ताकत को रेखांकित किया। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि इन प्रतिनिधिमंडलों ने न केवल भारत की नीतियों को स्पष्ट किया, बल्कि वैश्विक समुदाय से समर्थन भी हासिल किया। इस मुलाकात में पीएम मोदी वैश्विक नेताओं के साथ हाल की बातचीत, जैसे कि यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी बैठकों, के संदर्भ में चर्चा करेंगे। यह मुलाकात भारत की क्षेत्रीय और वैश्विक रणनीति को और सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम होगी।
