नेपाल की राजनीति में युवा तूफान: जेन जेड का नया दांव

नेपाल के युवा दिलों में उफान आ गया है। शनिवार को जेन जेड समूह ने एक ऐसा ऐलान किया, जिसने पुरानी राजनीतिक पार्टियों की नींद उड़ा दी। यह समूह, जो 1997 से 2012 के बीच पैदा हुई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करता है, अब अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बनाने जा रहा है। लेकिन यह फैसला सिर्फ घोषणा नहीं, बल्कि कुछ सख्त शर्तों से बंधा है। क्या है यह नया मोड़, जो नेपाल की सत्ता की कुर्सी हिला सकता है? आइए, तीन हिस्सों में जानते हैं इस युवा क्रांति की पूरी कहानी, जहां हर कदम पर बदलाव की उम्मीद चमक रही है।
जेन जेड का उदय: ओली सरकार का पतन
नेपाल की राजनीति में जेन जेड का नाम अब एक तूफान बन चुका है। पिछले महीने, इस युवा समूह ने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंधों के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। काठमांडू की सड़कों पर हजारों युवा उतर आए, जिससे पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को इस्तीफा देना पड़ा। यह आंदोलन इतना शक्तिशाली था कि UML और नेपाली कांग्रेस जैसे पार्टियों के मुख्यालयों पर हमले तक हो गए। समूह के प्रमुख नेता मिराज धुंगाना ने इसे ‘शांतिपूर्ण क्रांति’ बताया, जो युवाओं की एकजुटता का प्रतीक था। अब, 5 मार्च 2026 को होने वाले आम चुनावों से पहले, जेन जेड ने अपनी ताकत को राजनीतिक मंच पर बदलने का फैसला किया है। लेकिन वे साफ कहते हैं कि चुनाव लड़ना उनकी ‘मूलभूत’ मांगों पर निर्भर करेगा। यह कदम न केवल युवाओं को सशक्त कर रहा है, बल्कि पुरानी व्यवस्था को चुनौती दे रहा है।
पार्टी का ऐलान: शर्तों के साथ नया अध्याय
शनिवार को काठमांडू में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मिराज धुंगाना ने जेन जेड की नई राजनीतिक पार्टी की स्थापना की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह पार्टी युवाओं को एकजुट करने का माध्यम बनेगी, लेकिन चुनावों में भागीदारी तभी होगी जब सरकार उनकी शर्तें माने। समूह फिलहाल पार्टी के नाम के लिए सुझाव मांग रहा है, जो ‘गरीखाना देउ’ जैसे अभियान से प्रेरित हो सकता है। जेन जेड का मानना है कि वर्तमान प्रणाली युवाओं की आवाज को दबाती है, इसलिए वे सिस्टम में गहरा बदलाव चाहते हैं। अंतरिम सरकार, जो पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुषिला कार्की के नेतृत्व में सत्ता में आई है, पर दबाव बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम नेपाल की राजनीति को नई दिशा दे सकता है, क्योंकि जेन जेड युवा वोटरों का बड़ा हिस्सा है। लेकिन क्या पार्टियां इस चुनौती का सामना कर पाएंगी? यह सवाल अब हर किसी के मन में कौंध रहा है।
प्रमुख मांगें: बदलाव की दिशा
जेन जेड की मांगें साफ और क्रांतिकारी हैं। पहली, प्रत्यक्ष निर्वाचित कार्यकारी प्रणाली: वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति सीधे जनता द्वारा चुने जाएं, ताकि सत्ता का विकेंद्रीकरण हो। दूसरी, विदेशों में बसे नेपाली नागरिकों को वोटिंग राइट्स: लाखों नेपाली प्रवासी अपनी मातृभूमि की राजनीति से कटे हुए हैं, और जेन जेड उन्हें सशक्त बनाना चाहता है। इसके अलावा, भ्रष्टाचार रोकने के लिए नागरिक-स्तरीय संस्था और आर्थिक सुधार जैसे रोजगार सृजन, पर्यटन विकास पर जोर। धुंगाना ने चेतावनी दी कि इन मांगों के बिना चुनाव ‘अर्थहीन’ होंगे। यह आंदोलन न केवल नेपाल के युवाओं को प्रेरित कर रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। अगर शर्तें मानी गईं, तो 2026 का चुनाव नेपाल के इतिहास में मील का पत्थर साबित हो सकता है। युवा शक्ति अब सत्ता की दहलीज पर दस्तक दे रही है।
