ट्रम्प का दावा- भारत रूस से तेल खरीदना बंद करेगा, भारत बोला- हम अपनी जरूरतों के हिसाब से फैसले लेते हैं
लखनऊ/ 2 अगस्त: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को दावा किया कि उन्हें “सुना है” कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है, इसे “अच्छा कदम” बताते हुए। हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि देश अपनी ऊर्जा जरूरतों और वैश्विक परिस्थितियों के आधार पर तेल खरीदने के फैसले लेता है। मंत्रालय ने रूस से तेल खरीद बंद करने की खबरों से अनभिज्ञता जताई।
ट्रम्प का बयान और टैरिफ की धमकी
ख़बरों के मुताबिक ट्रम्प ने कहा, “मैंने सुना है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। मुझे नहीं पता यह सही है या नहीं, लेकिन यह अच्छा कदम है। देखते हैं क्या होता है।” यह बयान उनकी हालिया आलोचना के बाद आया, जिसमें उन्होंने भारत पर 25% टैरिफ और रूस से तेल व हथियार खरीदने के लिए अतिरिक्त “पेनल्टी” लगाने की घोषणा की थी। ख़बरों के अनुसार ट्रम्प ने एक बयान देते हुए कहा कि भारत हमारा मित्र हैं, लेकिन उनके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं और वे रूस से सैन्य उपकरण व ऊर्जा खरीद रहे हैं, जबकि हर कोई चाहता है कि रूस यूक्रेन में युद्ध रोके।”
भारत का जवाब: राष्ट्रीय हित सर्वोपरि
ख़बरों के मुताबिक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्रम्प के दावे पर जवाब देते हुए कहा, “हमारी ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित करने में हम बाजार में उपलब्ध विकल्पों और वैश्विक परिस्थितियों से निर्देशित होते हैं। भारत और रूस के बीच स्थिर और समय-परीक्षित साझेदारी है।” उन्होंने रॉयटर्स की उस रिपोर्ट पर भी अनभिज्ञता जताई, जिसमें दावा किया गया था कि भारतीय सरकारी रिफाइनरियों ने पिछले हफ्ते रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया। जायसवाल ने कहा, “हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।”
रूस से तेल खरीद: पृष्ठभूमि
भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक, 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद रूस से सस्ता तेल खरीदने वाला सबसे बड़ा देश बन गया। 2024 में भारत के कुल तेल आयात का 35-40% रूस से था, जो 2021 में केवल 3% था। रूस के बाद इराक और सऊदी अरब भारत के प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता हैं। भारतीय रिफाइनरियों, खासकर निजी कंपनियों जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी, ने सस्ते रूसी तेल का लाभ उठाया, जिससे भारत ने घरेलू खपत के साथ-साथ यूरोप को डीजल निर्यात करके मुनाफा कमाया।
टैरिफ का प्रभाव और भारत की रणनीति
ट्रम्प ने 1 अगस्त से भारत पर 25% टैरिफ और रूस से तेल खरीद के लिए अतिरिक्त पेनल्टी की घोषणा की थी, जो अब 7 अगस्त से लागू होगी। भारतीय सरकारी रिफाइनरियों (IOCL, BPCL, HPCL, MRPL) ने पिछले हफ्ते रूसी तेल की खरीद रोक दी, क्योंकि छूट की दर कम हो गई थी। ये रिफाइनरियां अब मध्य पूर्व (अबू धाबी का मुरबन क्रूड) और पश्चिम अफ्रीका से तेल खरीद रही हैं। हालांकि, रिलायंस और नायरा जैसी निजी रिफाइनरियां, जिनके रूस के साथ दीर्घकालिक समझौते हैं, खरीद जारी रख सकती हैं।
राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव
ट्रम्प की टैरिफ नीति से भारत के फार्मास्यूटिकल्स, रत्न-आभूषण, कपड़ा और ऑटोमोबाइल क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत की जीडीपी वृद्धि 30 बेसिस पॉइंट तक कम हो सकती है। हालांकि, भारत ने साफ किया कि वह दबाव में फैसले नहीं लेगा। ख़बरों के अनुसार विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले कहा था, “भारत अपनी जनता की जरूरतों को प्राथमिकता देगा और सबसे सस्ता तेल खरीदेगा।”
पाकिस्तान के साथ तेल डील पर टिप्पणी
ट्रम्प ने गुरुवार को दावा किया कि अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ एक समझौता किया है, जिसमें उसके “विशाल तेल भंडार” विकसित किए जाएंगे, और “शायद वे एक दिन भारत को तेल बेचेंगे।” भारत ने इस पर कहा, “हमारी किसी भी देश के साथ संबंध तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखे जाने चाहिए।”
खबरों के मुताबिक जिसके बाद सोशल मीडिया पर भारतीय यूजर्स ने ट्रम्प के बयान की आलोचना की, इसे भारत की संप्रभुता पर दबाव बनाने की कोशिश बताया।
