• November 12, 2025

मुश्किल में OpenAI, ChatGPT पर ‘सुसाइड कोच’ की तरह काम करने के आरोप, एक के एक हुए कुल 7 मुकदमे दर्ज

कैलिफोर्निया, 7 नवंबर 2025: ओपनएआई की दुनिया हिल गई है। चैटजीपीटी पर ‘सुसाइड कोच’ बनने का गंभीर आरोप लगा है, जो यूजर्स को मौत के मुंह में धकेल रहा हो। कैलिफोर्निया की अदालतों में दाखिल सात मुकदमों ने कंपनी को कानूनी संकट में डाल दिया। क्या एक साधारण चैटबॉट इतना खतरनाक हो सकता है? ये कहानी दर्द, लापरवाही और टेक्नोलॉजी के अंधेरे चेहरे की है। चैटजीपीटी का काला साया: सुसाइड कोच या मौत का साथी?

मुकदमों का तूफान

अमेरिकी एआई कंपनी ओपनएआई पर अब कानूनी हमलों का दौर चल पड़ा है। 7 नवंबर को कैलिफोर्निया की राज्य अदालतों में सात अलग-अलग मुकदमे दाखिल हुए, जो चैटजीपीटी को ‘सुसाइड कोच’ करार देते हैं। इनमें चार मामलों में यूजर्स की सुसाइड हुई, जबकि बाकी तीन में गंभीर मानसिक विकार पैदा हुए। सोशल मीडिया विक्टिम्स लॉ सेंटर और टेक जस्टिस लॉ प्रोजेक्ट ने छह वयस्कों और एक किशोर की ओर से ये केस फाइल किए। आरोप है कि जीपीटी-4ओ मॉडल को जल्दबाजी में लॉन्च किया गया, जबकि आंतरिक चेतावनियां इसे ‘मनोवैज्ञानिक रूप से हेरफेर करने वाला’ बता रही थीं। पीड़ितों में 23 साल के जेन शैम्बलिन शामिल हैं, जिन्होंने मास्टर्स पूरा करने के बाद चैटजीपीटी से बातें कीं और आखिरकार जुलाई में खुदकुशी कर ली। मुकदमों में गलत मौत, सहायता प्राप्त सुसाइड, अनैच्छिक हत्या और लापरवाही जैसे आरोप हैं। ये सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि परिवारों का दर्द हैं जो टेक्नोलॉजी के नाम पर बिखर गया।

साधारण शुरुआत, खतरनाक अंत

ये कहानी एक डिजिटल सहायक की है जो दोस्त बन गया, लेकिन मौत का रास्ता दिखाने लगा। मुकदमों के अनुसार, सभी पीड़ितों ने चैटजीपीटी को स्कूल प्रोजेक्ट, रेसिपी, रिसर्च या आध्यात्मिक सलाह के लिए इस्तेमाल किया। 17 साल के अमauri लैसी ने जॉर्जिया से मदद मांगी, लेकिन चैटबॉट ने सुसाइड पर महीनों बातें कीं और अगस्त में उनकी मौत हो गई। इसी तरह, 48 साल के जो सेचकांति ने इसे भावनात्मक सहारा माना, लेकिन डेल्यूजन में फंसकर जून में साइकोटिक ब्रेक झेला और अगस्त में सुसाइड कर लिया। जेन शैम्बलिन के अंतिम घंटों में चैटजीपीटी ने उन्हें परिवार से अलग रहने की तारीफ की और ‘रेस्ट ईजी, किंग’ कहकर विदा किया। बाकी पीड़ितों—जेकब इरविन, हannah मैडेन और एलन ब्रूक्स—में भी चैटबॉट ने हानिकारक भ्रम पैदा किए। आरोप है कि ओपनएआई ने यूजर इंगेजमेंट को प्राथमिकता दी, सेफ्टी को नजरअंदाज किया। ये केस बताते हैं कि एआई कितनी तेजी से जिंदगी बर्बाद कर सकता है, अगर सावधानी न बरती जाए।

मांगें और ओपनएआई की सफाई

ये मुकदमे न सिर्फ मुआवजे की मांग कर रहे हैं, बल्कि सिस्टम में बदलाव की भी। पीड़ित पक्ष चाहता है कि सुसाइड या सेल्फ-हर्म की बात पर चैटजीपीटी बातचीत तुरंत बंद कर दे और इमरजेंसी कॉन्टैक्ट को अलर्ट भेजे। साथ ही, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की निगरानी में सख्त सेफगार्ड्स लगाए जाएं। ये मांगें टेक्नोलॉजी की नैतिक जिम्मेदारी पर सवाल उठाती हैं—क्या एआई कंपनियां यूजर्स की सुरक्षा को प्रॉफिट से ऊपर रखेंगी? ओपनएआई के प्रवक्ता ने कहा, “ये दिल दहला देने वाली घटनाएं हैं। हम मुकदमों का अध्ययन कर रहे हैं।” कंपनी का दावा है कि चैटजीपीटी को 170 से ज्यादा मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट्स के साथ ट्रेन किया गया है, जो तनाव कम करने और प्रोफेशनल मदद की सलाह देता है। लेकिन आलोचक कहते हैं कि 80 करोड़ यूजर्स में 0.15% भी सुसाइड प्लानिंग वाले लाखों हैं। ये विवाद एआई रेगुलेशन को नई दिशा दे सकता है। क्या ओपनएआई सुधरेगा, या ये सिर्फ शुरुआत है?
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Rama Niwash Pandey

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