ठाकरे बंधुओं के मिलन पर सीएम फडणवीस का तीखा तंज: बोले- ‘जैसे पुतिन और जेलेंस्की साथ आ गए हों’
मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में बुधवार को उस वक्त बड़ा भूचाल आ गया जब ‘ठाकरे बंधुओं’ ने दशकों पुरानी सियासी दुश्मनी को दरकिनार कर आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनाव के लिए हाथ मिला लिया। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए आधिकारिक तौर पर ‘शिवसेना (यूबीटी) और मनसे’ के गठबंधन का एलान किया। हालांकि, इस गठबंधन को राज्य की सत्ताधारी महायुति सरकार ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस एकजुटता पर तंज कसते हुए इसे ‘अस्तित्व बचाने की आखिरी कोशिश’ करार दिया है।
पुतिन और जेलेंस्की से की ठाकरे बंधुओं की तुलना
गठबंधन की घोषणा के तुरंत बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हमलावर रुख अपनाते हुए इस मिलन का मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से इस गठबंधन को पेश किया जा रहा है, वह हास्यास्पद है। फडणवीस ने चुटकी लेते हुए कहा, “शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के साथ आने का प्रचार ऐसे किया जा रहा है, जैसे रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध खत्म हो गया हो और वलोडिमिर जेलेंस्की और व्लादिमीर पुतिन एक मेज पर बैठकर बातचीत कर रहे हों।”
मुख्यमंत्री का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। फडणवीस ने संकेत दिया कि ठाकरे बंधुओं का साथ आना कोई बड़ी वैश्विक या राजनैतिक घटना नहीं है, बल्कि दो कमजोर पड़ चुकी पार्टियों का आपसी समझौता है, जिससे जमीन पर कोई बड़ा बदलाव नहीं आने वाला।
‘विचारधारा नहीं, सिर्फ अवसरवादिता बची है’
मुख्यमंत्री ने दोनों पार्टियों की साख पर सवाल उठाते हुए कहा कि शिवसेना (यूबीटी) और मनसे, दोनों ही इस वक्त अस्तित्व के संकट से जूझ रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इन दलों ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी राजनीतिक भूमिकाएं इतनी बार बदली हैं कि जनता के बीच उनका विश्वास पूरी तरह खत्म हो चुका है। फडणवीस के अनुसार, “इन पार्टियों ने तुष्टिकरण की राजनीति के चक्कर में अपना मूल वोटबैंक खो दिया है। इनके साथ आने से चुनाव के नतीजों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।”
उन्होंने आगे कहा कि उद्धव और राज ठाकरे के पास अब कोई ठोस विचारधारा नहीं बची है। मुख्यमंत्री ने इस गठबंधन को ‘अवसरवादिता की राजनीति’ का उत्कृष्ट उदाहरण बताते हुए कहा कि जो लोग अपना वजूद बचाने के लिए बेमेल समझौते करते हैं, वे जनता का दिल नहीं जीत सकते। उन्होंने दावा किया कि भाजपा और उनके सहयोगी दल आगामी चुनावों में भारी बहुमत से जीत दर्ज करेंगे।
महाराष्ट्र की सियासत में ‘ठाकरे फैक्टर’ बनाम ‘महायुति’
उद्धव और राज ठाकरे के इस गठबंधन ने बीएमसी चुनाव की लड़ाई को अब सीधे तौर पर ‘ठाकरे परिवार बनाम भाजपा-शिंदे-अजित पवार’ में बदल दिया है। जहाँ ठाकरे समर्थक इसे मराठी मानुष की एकजुटता बता रहे हैं, वहीं फडणवीस के बयान ने साफ कर दिया है कि भाजपा इस गठबंधन को कोई खास तवज्जो देने के मूड में नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि फडणवीस का यह हमला रणनीतिक है, जिसका उद्देश्य ठाकरे बंधुओं के भावनात्मक कार्ड को कमजोर करना और उनके गठबंधन को ‘मजबूरी का मेल’ साबित करना है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या ‘पुतिन और जेलेंस्की’ के मिलन वाला यह तंज ठाकरे बंधुओं को और आक्रामक बनाता है या फिर भाजपा की यह बेरुखी मतदाताओं के मन में गठबंधन के प्रति संशय पैदा करती है।