जो सोवत है वो खोवत है! प्रेमानंद महाराज बोले — देर तक सोने से घटती है जीवनशक्ति, मिटता है आत्मविश्वास
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Nitin Kumar
- November 9, 2025
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मथुरा, 9 नवंबर: संत प्रेमानंद जी महाराज ने अपने हालिया प्रवचन में कहा कि सूर्योदय से पहले उठना केवल एक अच्छी आदत नहीं, बल्कि आत्मिक साधना है जो मनुष्य के जीवन को ऊर्जावान, शांत और संतुलित बनाती है। उन्होंने चेताया कि जो लोग देर तक सोते हैं, वे धीरे-धीरे अपनी जीवनशक्ति, आकर्षण और आत्मविश्वास खो देते हैं। भारतीय संस्कृति में भोर का समय आत्मा और शरीर दोनों के पुनर्जागरण का क्षण माना गया है, और इसे गंवाना मानो जीवन की सबसे बड़ी पूंजी खो देना है। महाराज ने कहा कि सुबह की पहली किरण के साथ उठना व्यक्ति को प्रकृति की लय से जोड़ता है, जबकि देर तक सोना मन और शरीर दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
प्रकृति के साथ तालमेल: सूरज की पहली किरण का चमत्कार
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, जो व्यक्ति सूरज की पहली किरण के साथ उठता है, वह प्रकृति की ऊर्जा से सीधा जुड़ाव स्थापित करता है। सूर्योदय के समय वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा सबसे अधिक होती है, जो शरीर की कोशिकाओं को नई ऊर्जा देती है। यही वह क्षण होता है जब पृथ्वी की जीवंतता अपने शिखर पर होती है — पक्षियों की चहचहाहट, मंद हवा और लालिमा से भरा आकाश मनुष्य की चेतना को पुनर्जीवित कर देते हैं। महाराज ने कहा कि जो लोग इस समय नींद में डूबे रहते हैं, वे इस प्राकृतिक वरदान से वंचित रह जाते हैं। धीरे-धीरे यह आदत उनके शरीर, मन और आत्मा की लय को असंतुलित कर देती है, जिससे वे जीवन के हर क्षेत्र में सुस्ती और असंतोष का अनुभव करने लगते हैं।
देर तक सोने के दुष्प्रभाव: घटती ऊर्जा और आत्मविश्वास
महाराज प्रेमानंद जी का कहना है कि देर तक सोना केवल आलस्य नहीं, बल्कि जीवनशक्ति के क्षरण का संकेत है। सुबह की ठंडी हवा और सूर्य की कोमल किरणें त्वचा और रक्त प्रवाह के लिए प्राकृतिक उपचार का कार्य करती हैं, जिससे चेहरे पर तेज और मन में ताजगी बनी रहती है। लेकिन जो लोग देर से उठते हैं, उनके चेहरे की चमक फीकी पड़ जाती है और शरीर में भारीपन आ जाता है। महाराज के अनुसार, ऐसे व्यक्ति का दिन जल्दबाज़ी और अस्थिरता में बीतता है — न आत्मविश्वास रह जाता है, न कर्मशीलता। वहीं, जो लोग सूर्योदय से पहले जागकर सूर्यदेव को प्रणाम करते हैं, वे अपने जीवन पर नियंत्रण और स्पष्टता दोनों बनाए रखते हैं।
सूर्यदेव की आराधना: आस्था ही नहीं, विज्ञान भी
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि सूर्यदेव की आराधना केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी है। सुबह की धूप में मौजूद अल्ट्रावायलेट किरणें शरीर में विटामिन D का निर्माण करती हैं, जिससे हड्डियां मजबूत और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। वहीं, सूर्य का प्रकाश मस्तिष्क में सेरोटोनिन हार्मोन को सक्रिय करता है, जो मन में प्रसन्नता और संतुलन बनाए रखता है। महाराज कहते हैं, “जो व्यक्ति हर सुबह सूर्य को अर्घ्य देता है, उसके भीतर आत्मविश्वास, ऊर्जा और संतोष का संचार स्वतः होने लगता है।” इस प्रकार, जल्दी उठना केवल एक अनुशासन नहीं, बल्कि जीवन को सार्थक और ऊर्जामय बनाने की कुंजी है।