गाजा का बंटवारा: ग्रीन जोन की चमक, रेड जोन का अंधेरा
अमेरिकी योजना: गाजा को दो हिस्सों में बांटने का खाकाद गार्डियन की रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि अमेरिका गाजा को स्थायी रूप से दो जोनों में बांटने की योजना बना रहा है। पूर्वी हिस्सा ‘ग्रीन जोन’ बनेगा, जहां इजराइली सेना के साथ अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल (ISF) तैनात होंगे। यहां पुनर्निर्माण की शुरुआत होगी, इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा। अमेरिकी सैन्य दस्तावेजों के अनुसार, येलो लाइन के पूर्व में यह जोन होगा, जहां शुरुआत में सैकड़ों विदेशी सैनिक इजराइली सैनिकों के साथ काम करेंगे। संख्या 20,000 तक पहुंच सकती है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से मंजूरी की कोशिश चल रही है। लेकिन ग्रीन जोन से बाहर जाने की मनाही होगी। पश्चिमी हिस्सा ‘रेड जोन’ रहेगा, जहां 80% इमारतें तबाह हैं। यहां 20 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनी भीड़ में जी रहे हैं, बिना पानी, बिजली या आश्रय के। योजना का मकसद सुरक्षा कायम रखना बताया जा रहा है, लेकिन मानवाधिकार संगठन इसे सामूहिक सजा करार दे रहे हैं। यह बंटवारा दो साल की जंग के बाद गाजा को ‘न शांति, न युद्ध’ की स्थिति में धकेल सकता है।
ट्रंप के वादे धुंधले: शांति समझौते पर सवाल
ट्रंप प्रशासन ने अक्टूबर में शर्म अल-शेख में 20 से ज्यादा देशों के साथ गाजा शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए, जहां इजराइल और हमास को बाहर रखा गया। 20-सूत्री योजना में गाजा को एकजुट कर फिलिस्तीनी शासन बहाल करने, हथियारबंद समूहों का विमुद्रीकरण और इजराइली वापसी का वादा था। ‘पीस बोर्ड’ नामक संक्रमणकालीन निकाय बनाना भी शामिल था, जिसके प्रमुख ट्रंप खुद होंगे। लेकिन नई योजना पुराने वादों को चुनौती दे रही है। यूरोपीय स्रोत इसे ‘अवास्तविक’ बता रहे हैं, क्योंकि इराक-अफगानिस्तान जैसे असफल अभियानों के बाद यूरोपीय देश सैनिक भेजने से हिचकिचा रहे। रूस-चीन जैसे देश ‘पीस बोर्ड’ को हटाने की मांग कर रहे। फिलिस्तीनी अधिकरण की कोई भूमिका नहीं। मानवीय संगठन चेताते हैं कि रेड जोन में विस्थापन स्थायी हो जाएगा। ग्रीन जोन में विकास से फिलिस्तीनियों को लुभाने की रणनीति है, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं, यह हमास के प्रभाव को कम करने का बहाना मात्र है। सोमवार को UNSC में प्रस्ताव पर वोटिंग होगी, जो योजना की किस्मत तय करेगी।