पुतिन की शर्तों पर होगा सीजफायर! आखिरी मोड़ पर पहुंची जंग, रूस के कब्जे के कगार पर पोक्रोव्स्क शहर
मॉस्को, 9 नवंबर: रूस-यूक्रेन युद्ध अब अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। पूर्वी यूक्रेन का पोक्रोव्स्क शहर इस संघर्ष का केंद्र बन गया है, जहां रूस नियंत्रण स्थापित करने के बेहद करीब बताया जा रहा है। लगभग 21 महीनों से चल रहे इस युद्ध में यह शहर अब राजनीतिक और प्रतीकात्मक रूप से अहम बन चुका है। रूस इसे अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन मान रहा है, जबकि यूक्रेन के लिए यह संघर्ष मनोबल और अस्तित्व दोनों की परीक्षा बन गया है। हालांकि सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि पोक्रोव्स्क पर कब्जा रूस को रणनीतिक रूप से बहुत लाभ नहीं देगा, लेकिन यह पुतिन के लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत साबित हो सकती है।
घेराबंदी और शहरी युद्ध की गंभीर स्थिति
यूक्रेनी सैनिकों ने बताया है कि पोक्रोव्स्क के चारों ओर रूसी सेनाओं ने घेराबंदी और कड़ी कर दी है। शहर के भीतर लगातार गोलीबारी, ड्रोन हमले और शहरी युद्ध जारी हैं। कई इमारतें मलबे में तब्दील हो चुकी हैं और सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। यूक्रेनी कमांडरों के मुताबिक, रूस बड़े समूहों में आगे बढ़ रहा है, जिनमें से कुछ शहर की सीमा तक पहुंच चुके हैं। सीमित संसाधनों और बख्तरबंद वाहनों की कमी के कारण यूक्रेनी सैनिकों को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में शहर में केवल 1,200 नागरिक बचे हैं, जबकि अधिकांश लोग सुरक्षित इलाकों की ओर पलायन कर चुके हैं।
रूस की प्रतीकात्मक जीत और प्रचार युद्ध
अमेरिकी थिंक टैंक Institute for the Study of War के शोधकर्ता जॉर्ज बैरोस के अनुसार, पोक्रोव्स्क पर कब्जा रूस को सैन्य दृष्टि से बहुत लाभ नहीं देगा, लेकिन यह उसकी राजनीतिक और प्रचारात्मक रणनीति का हिस्सा है। पुतिन इस जीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सैन्य क्षमता और नेतृत्व की सफलता के रूप में पेश करना चाहते हैं। यह कब्जा रूस के लिए एक “प्रतीकात्मक शक्ति प्रदर्शन” बन सकता है, जो घरेलू स्तर पर जनता के मनोबल को बढ़ाने और वैश्विक दबाव को कम करने में मदद करेगा। वहीं, यूक्रेन के लिए यह एक गंभीर मनोवैज्ञानिक झटका साबित हो सकता है, क्योंकि यह क्षेत्र डोनबास में उसकी रक्षात्मक रेखा का अहम हिस्सा रहा है।
यूक्रेन की रणनीतिक चिंता और अंतरराष्ट्रीय समीकरण
रूस ने इस क्षेत्र में करीब 1.70 लाख सैनिक तैनात किए हैं, जिससे यूक्रेनी सेना पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने पश्चिमी देशों से समर्थन की अपील की है, लेकिन संसाधनों की कमी और थके हुए सैनिकों के कारण युद्ध की स्थिति यूक्रेन के पक्ष में नहीं दिख रही। पोक्रोव्स्क डोनबास क्षेत्र का प्रमुख लॉजिस्टिक हब है, जहां से पूर्वी मोर्चे पर हथियार, सैनिक और आपूर्ति भेजी जाती है। यदि रूस यहां कब्जा करने में सफल हो जाता है, तो आसपास के शहरों — कुरामाटोर्स्क, स्लोवियान्स्क और कोस्त्यांतिनिव्का — पर भी उसका दबाव बढ़ जाएगा।
विश्लेषकों के अनुसार, यह संघर्ष केवल जमीन का नहीं बल्कि “मनोवैज्ञानिक और राजनीतिक नियंत्रण” की लड़ाई बन चुका है, जिसका परिणाम पूरे युद्ध की दिशा तय करेगा।