• December 31, 2025

अब धुआं रहित चूल्हा बना खूंटी की गरीब महिलाओं का सहारा

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना सिर्फ मध्यम वर्ग की महिलाओं तक सिमट कर रह गई। गांव के गरीब परिवारों ने गैस का उपयोग करना ही बंद कर दिया। महिलाओं का कहना है कि उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि हर महीने 12 सौ रुपये देकर गैस सिलेंडर खरीद सकें। यही कारण है कि आज दूर-दराज की गरीब महिलाएं जंगलों से लकड़ियां लाकर भोजन बनाती हैं। इससे महिलाओं की सेहत पर धुएं का दुष्प्रभाव पड़ने लगा। इसको देखकर गांव की महिलाएं अब धुआं रहित चूल्हे का उपयोग कर रही हैं।

खूंटी जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मुरहू प्रखंड के कुंजला पंचायत का गांव सिंघा दुलवा। गांव में सिर्फ अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं। गांव में 34 परिवार के 238 लोग निवास करते हैं। आदिवासी बहुल क्षेत्र रहने के कारण गांव के लोगों को स्वच्छ ऊर्जा समाधान की जानकारी का अभाव था। लोग खाना बनाने के लिए परंपरागत चूल्हे का उपयोग करते हैं। इसमें लकड़ी, गोबर के उप्पले और केरोसिन से चूल्हा जलाया जाता था। इसके कारण पूरा घर धुआं से भर जाता था। इसका दुष्प्रभाव परिवार पर पड़ता था। साथ ही लकड़ी भी अधिक लगती थी और फिर जंगलों और पेड़ों की कटाई शुरू हो जाती थी।

बाद में गांव की महिलाओं को स्वयंसेवी संस्था लीड़स की रेस परियोजना की जानकारी मिली। महिलाओं के आग्रह पर रेस परियोजना के तहत लीड्स संस्था ने गांव में ग्राम स्वच्छ ऊर्जा समिति का गठन किया। इसकी मासिक बैठक में लोगों को स्वच्छ ऊर्जा के बारे में जानकारी दी जाती और उन्हें धुआं रहित चूल्हों के उपयोग के लिए प्रेरित किया जाने लगा। बाद में उन्हें धुआं रहित चूल्हा के निर्माण की जानकारी दी गई। आज गांव के 38 परिवारों में से 28 परिवारों में धुआं रहित चूल्हे का उपयोग हो रहा है।

गांव की महिला ललिता भेंगरा और जौनी मुंडाइन बताती हैं कि ग्राम स्वछ ऊर्जा समिति की बैठक में निर्णय लिया गया की गांव के सभी परिवार को धुआं से मुक्त करने के लिए सभी कोई धुआं रहित चूल्हे का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने बताया धुआं रहित चूल्हे का निर्माण एक सांचे में किया जाता है। इसके निर्माण में लोहे का छड़, ईंट आदि का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस चूल्हे के उपयोग से अब सिंघ दुलवा गांव धुआं रहित गांव बनने की ओर अग्रसर है।

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