जम्मू-कश्मीर के लिथियम से EV इंडस्ट्री को कितना फायदा? क्या कम हो जाएंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के दाम
हाल ही के दिनों में जम्मू-कश्मीर में इलेक्ट्रिक गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी में इस्तेमाल होने वाली मुख्य कंपोनेंट ‘लिथियम’ को पाया गया है। जम्मू-कश्मीर में 59 लाख टन लीथियम पाया गया है। बैटरी में लिथियम आयन का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे अभी भी विदेशों से आयात किया जाता है। ऐसे में जब अपने देश में लिथियम का प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा। तब ईवी बैटरी की कीमतों में गिरावट देखी जा सकती है। आइये जानते हैं जम्मू-कश्मीर के लिथियम से ईवी इंडस्ट्री को कितना फायदा? क्या कम हो जाएंगी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के दाम?
जानकारी के लिए बता दें, इलेक्ट्रिक व्हीकल में इस्तेमाल होने वाली बैटरी इतनी महंगी होती हैं कि गाड़ी की नई कीमतों का लगभग 50 फीसद कीमत केवल बैटरी का होता है। ऐसे में ये खबर ईवी इंडस्ट्री के लिए काफी राहत भरी है। कर्नाटक के मांड्या जिले में भी करीब 1600 टन लिथिम धातु पाए जाने की खबर है। ऐसे में लोगों को आने वाले समय में ईवी की कीमत सस्ती होने की उम्मीद है।
वरदान साबित हो सकता है ये खजाना
लिथियम आयन बैटरी इस समय ईवी इंडस्ट्री के लिए खजाने से कम नहीं है। भारत में अभी इस सेक्टर में हाल ही जन्म लिया है। बैटरी बनाने के लिए यह इंडस्ट्री अभी भी लिथियम व अन्य कंपोनेंट के लिए विदेशों पर डिपेंडेंट है। भारत में इस समय अर्जेंटीना और ऑस्ट्रेलिया से सबसे अधिक इस धातु का आयात किया जाता है।
जम्मू-कश्मीर में बड़े भंडार की खोज के साथ भारत जल्द ही देश में निर्मित लिथियम-आयन बैटरी पैक में धातु का उपयोग करना शुरू कर सकता है। जिसकी बाद उम्मीद की जा सकती है कि बैटरी पैक की कीमतें आगे चलकर कम हो सकती हैं। जिससे पूरी ईवी आपको कम कीमत में मिल सकती है। दुनिया भर में लिथियम कंपोनेंट का स्मार्टवॉच और मोबाइल फोन से लेकर ईवी बैटरी पैक तक हर चीज में उपयोग किया जाता है।