डायबिटीज, मोटापा है तो अमेरिका में अब ‘नो एंट्री’! ट्रंप प्रशासन की वीजा पॉलिसी में बड़ा बदलाव
वॉशिंगटन, 8 नवंबर: अमेरिका में अब विदेशी नागरिकों के लिए प्रवेश के नियम और सख्त हो गए हैं। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने नई वीजा गाइडलाइन जारी करते हुए अधिकारियों से कहा है कि वे आवेदकों की सेहत, उम्र और आर्थिक स्थिति की गहन जांच करें। अगर किसी व्यक्ति को भविष्य में महंगी चिकित्सा देखभाल या सरकारी सहायता की जरूरत पड़ सकती है, तो उसे वीजा न दिया जाए। इस फैसले से डायबिटीज, मोटापा या हृदय रोग जैसी पुरानी बीमारियों से जूझ रहे लोगों की परेशानी बढ़ सकती है। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि इस कदम से सरकारी हेल्थ बजट पर बढ़ते बोझ को कम किया जा सकेगा, लेकिन इसे लेकर दुनियाभर में बहस शुरू हो गई है।
ट्रंप प्रशासन का नया आदेश और उसका उद्देश्य
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को दुनिया भर के अमेरिकी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को निर्देश जारी किया है। आदेश के अनुसार, वीजा अधिकारी अब किसी भी विदेशी नागरिक की हेल्थ, उम्र और फाइनेंशियल बैकग्राउंड की पूरी जांच करेंगे। अगर यह पाया गया कि व्यक्ति को अमेरिका में रहने के दौरान महंगी चिकित्सा सुविधा या सरकारी मदद की जरूरत पड़ सकती है, तो उसका वीजा आवेदन अस्वीकार कर दिया जाएगा। प्रशासन का कहना है कि इस नीति का मुख्य उद्देश्य अमेरिका के सार्वजनिक चिकित्सा खर्चों को घटाना और स्वास्थ्य प्रणाली पर पड़ने वाले दबाव को कम करना है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह गाइडलाइन कई योग्य आवेदकों के लिए अनुचित साबित हो सकती है।
किन लोगों पर पड़ेगा इस गाइडलाइन का असर
इस नई नीति के तहत मधुमेह, मोटापा, हृदय रोग और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे आवेदकों को सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है। केएफएफ हेल्थ न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, नई गाइडलाइन में ऐसे लोगों को “संभावित सार्वजनिक बोझ” करार दिया गया है, जिन्हें भविष्य में स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत पड़ सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेश विभाग ने वीजा अधिकारियों से साफ कहा है कि वे किसी भी ऐसे व्यक्ति को वीजा न दें, जो अमेरिका में जाकर सार्वजनिक सहायता पर निर्भर हो सकता है। इस दिशा-निर्देश को ट्रंप प्रशासन की सख्त आव्रजन नीतियों की अगली कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।
विश्वभर में उठे सवाल और चिंताएं
नई गाइडलाइन के बाद स्वास्थ्य और मानवाधिकार संगठनों ने चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि यह नीति न केवल बीमार व्यक्तियों के प्रति भेदभावपूर्ण है, बल्कि यह अमेरिकी इमिग्रेशन सिस्टम की मानवीय संवेदनाओं के खिलाफ भी है। आंकड़ों के अनुसार, विश्व की लगभग 10 प्रतिशत जनसंख्या मधुमेह से पीड़ित है, जबकि हृदय रोग वैश्विक स्तर पर मृत्यु का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है। ऐसे में ट्रंप प्रशासन का यह कदम लाखों लोगों के सपनों को प्रभावित कर सकता है, जो अमेरिका में बसने या काम करने की इच्छा रखते हैं। अब देखना यह होगा कि क्या इस गाइडलाइन को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने पर प्रशासन अपने रुख में कोई नरमी दिखाता है या नहीं।